यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Sunday, December 14, 2008

क्या यह इंसानियत है?

अक्सर यह खबर सुनने को मिलती है कि पूर्वोत्तर की लड़कियों से छेड़छाड़, मारपीट और हत्या हमेशा होती रहती है। जब नार्थ ईस्ट सपोर्ट सेंटर एंड हेल्पलाईन (http://www.nehelpline.net/) का गठन हुआ तभी से इस तरह की घटना दूर हो गई थी। मगर दस महीने के बाद यह घटना फिर सुनने को मिल रही है। दैनिक हिंदुस्तान के पेज 6 पर यह खबर छपी कि कॉलसेंटर में काम करने वाली मणिपुर की दो युवतियों को मकान मालिक ने देर रात मकान खाली करने को कहा। वक्त मांगने पर मकान मालिक और कुछ साथियों ने लड़कियों से छेड़छाड़ करना शुरू कर दी। विरोध करने पर दोनों की पिटाई कर दी। आप वह खबर देख सकते हैं, जो दैनिक हिंदुस्तान पर छपी थी।देखिए यह कौन सी मानवता है। यह एक गिरते हुए समाज की तस्वीर है। यह है अपने देश की पहचान। जो शक्ति अपने, समाज के लिए और देश के लिए प्रयोग करनी चाहिए थी वह बदनाम करने में प्रयोग कर रही है। पुरुष प्रधान समाज में हर चुनौती स्वीकार कर घर से बाहर रह कर कमाने आई महिलाओं के लिए यह दर्दनाक घटना है। बताया जाता है कि दोनों लड़कियां गुड़गांव स्थित किसी कॉलसेंटर में काम करने के लिए आई थी। उन्होंने दो दिन पहले सिकंदरपुर स्थित एक कमरा किराए पर लिया था। देर रात लड़कियों को मकान खाली करने के लिए कहना कहां तक सही है। यह खाली पूर्वोत्तर की बात नहीं है। हर जगह की बात है कि जो लड़कियां परिवार से दूर रह कर जिंदगी की लड़ाई से सामना कर रही है उन लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए। जो दिमाग बदनाम करने में प्रयोग कर रहा है वह नेक काम में प्रयोग करता तो तरक्की करने में काम आता। और देश को रोशन करता।

2 comments:

bijnior district said...

कड़वी सच्चाई। दरअस्त हम आज भी महिलाआें को उपभोग की वस्तु समझते हैं। एवं उसके देहिक शोषण के लिए कोई न कोई रास्ता निकालने का प्रयास करते हैं।

Smart Indian said...

बिल्कुल भी नहीं! ऐसी उद्दंडता को कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए!