यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Tuesday, December 1, 2009

अशांत मणिपुर और बच्‍चों का भविष्‍य

सुरक्षाबलों की मनमानी और आतंक के विरोध में आंदोलन के चलते राज्य की समस्त शैक्षिक गतिविधियां ठप्प हो गई हैं, जिससे लाखों छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने की आशंका है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है.




मणिपुर में सशस्त्र बलों की मनमानी के विरोध में सुलग रही चिंगारी भड़कती जा रही है. इसने अब आम अवाम के साथ बच्चों को भी अपने आगोश में ले लिया है. बीती 23 जुलाई को हुई इस फर्जी मुठभे़ड का मामला लगातार गरमाता जा रहा है, जिसमें संजीत और रवीना नामक निर्दोष युवक-युवती मारे गए थे. इनके अलावा पांच अन्य लोग भी घायल हुए थे. मृतकों के घरवालों ने कसम खा रखी है कि जब तक इन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक वे दोनों का श्राद्धकर्म नहीं करेंगे. तीन महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वर्किंग कमेटी ऑफ द अपुनबा लुप इसके विरोध में लगातार विरोध प्रदर्शन करती चली आ रही है. इसके समर्थन में राज्य के तीन छात्र संगठनों ऑल मणिपुर स्टूडेंट यूनियन (एमसू), मणिपुर स्टूडेंट्‌स फेडरेशन (एमएसएफ) और कंगलैपाक स्टूडेंट्‌स एसोसिएशन (केएसए) ने भी गत 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन कक्षा बहिष्कार कर रखा है. गुस्साई जनता ने हर स्कूल-कॉलेज में ताला जड़ दिया है. इस वजह से पढ़ाई बिल्कुल ठप है. अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं. पिछले दो माह से बच्चे स्कूल-कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं. लेकिन, राज्य सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. वह हाथ पर हाथ धरे बैठी है. फर्जी मुठभे़ड का मामला अभी तक उलझा पड़ा है.




छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार ने कई बार कर्फ्यू भी लगाया, लेकिन इसका कोई असर आंदोलनकारियों पर नहीं पड़ा. कक्षा बहिष्कार का सबसे ज्यादा असर इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, थौबाल और विष्णुपुर में दिख रहा है. यहां के छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो चुकी है, लेकिन मणिपुर की जनता सेना के जुल्मों से इतनी परेशान हो चुकी है कि वह इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है. लोग मरने-मारने तक पर आमादा हैं. वे सड़कों पर निकल चुके हैं और उन्होंने हिंसक रुख अख्तियार कर लिया है. उनका कहना है कि अहिंसक आंदोलन से सरकार सुनने वाली नहीं है. इसी के चलते लोगों ने बीती 17 नवंबर को थौबान जिले के सापम खुनौ में खोंगजोम स्टैंडर्ड इंग्लिश स्कूल का भवन जला दिया, जिसमें लगभग दस लाख रुपये की संपत्ति जलकर राख हो गई. स्कूल के प्रशासक लांगपोकलाकपम शक्तिधर सिंह ने बताया कि यहां नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में कुल 620 विद्यार्थी हैं.

अहम बात यह है कि एक तरफ प़ढाई ठप है तो दूसरी तरफ छात्रों को परीक्षा भी देनी है. दसवीं और बारहवीं की परीक्षा तो सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा होती है, क्योंकि यहीं से भविष्य की राह खुलती है. छात्रों का कहना है कि इस तरह तो हमारा भविष्य ही अंधकारमय हो जाएगा. इस बार दसवीं कक्षा के 27000 से अधिक और बारहवीं कक्षा के 19000 से अधिक छात्रों को परीक्षा देनी है. इनके साथ-साथ अभिभावक भी चिंतित हैं. उन्होंने सरकार और अपुनबा लुप से अपील की है कि दोनों मिलकर कोई ऐसी राह निकालें, जिससे छात्रों का भविष्य चौपट होने से बचाया सके.




ऑल मणिपुर रिककनाइज प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भी सरकार, विद्यार्थी संगठनों और अपुनबा लुप से अपील की है कि मामले का शीघ्र ही कोई समाधान निकाला जाए. इसी बीच सरकार ने 9 नवंबर से स्कूल-कॉलेज खुलने की घोषणा कर दी, लेकिन डर और आंदोलन के चलते छात्र वहां जाने का नाम नहीं ले रहे हैं. मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्र भी कक्षा बहिष्कार में शामिल हैं. यहां बीएसी के 9494, बीए के 11746 और बीकॉम के 1268 छात्र कक्षा में नहीं जा रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि रवीना और संजीत को सुरक्षाबलों ने एक फर्जी मुठभे़ड में मार गिराया था. सरकार ने इस घटना को दबाने की काफी कोशिश की थी, मगर तहलका पत्रिका ने मामले की 12 तस्वीरें छापकर सरकार की नींद उड़ा दी थी. तस्वीरें बता रही थीं कि संजीत को जानबूझ कर एक फार्मेसी के अंदर ले जाकर गोली मारी गई थी. अफसपा कानून के चलते सेना खुद को सुरक्षित मानती है. सरकार भी मामले को रफा-दफा करना चाहती है. जनता की मांग है कि इस मुठभे़ड का सच सामने लाया जाए. इसमें शामिल लोगों को निलंबित किया जाए. जनता ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की भी मांग की.
एमसू, एमएसएफ और केएसए का कहना है कि शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण आदमी के जीने का हक है. जब शांति होगी, तभी प़ढाई हो सकेगी. इसीलिए कक्षा बहिष्कार का निर्णय लिया गया. उधर बारहवीं की परीक्षा आगामी मार्च या अप्रैल माह में होनी तय है. डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्‌स एलाइंस ऑफ मणिपुर (डेसाम) ने लोगों से अपील की है कि वे अपने गुस्से पर काबू रखें. संगठन के अध्यक्ष एल सी संतोष ने कहा कि स्कूल जलाना शिक्षा का विरोध करने के समान है. मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द ही प़ढाई सुचारूरूप से चालू हो जाएगी. सेना ने आम आदमी को मार डाला है, यह बात गलत है. घटना की जांच हो रही है और दोषी लोगों को सजा जरूर मिलेगी. जनता को जीने और शिक्षा का अधिकार सरकार की प्राथमिकता में है.



मणिपुर में राइट टू लीव नहीं है. यहां लोग हमेशा भयभीत रहते हैं. बीती 14 अगस्त को नोंगमाइखों में 13 वर्षीया विद्यारानी को इंफाल वेस्ट कमांडो और मराठा लाइट इंफैंट्री के जवान उसके घर से उठा ले गए और उसे चार दिनों तक कस्टडी में रखा गया. वजह, उसके मां-बाप पर शक था कि उनके आतंकवादियों से संबंध हैं. विद्यारानी आज तक दहशत में है. वह हर वक्त चौंकती, चिल्लाती और बुदबुदाती रहती है. विद्यारानी जैसे अनेक बच्चे इसी माहौल में जीते हैं, लेकिन इस बात की चिंता न राज्य सरकार को है और न ही केंद्र सरकार को.


कहां कितने विद्यार्थी

सरकारी हायर सेकेंडरी 10549
मान्यताप्राप्त हायर सेकेंडरी 30389
सरकारी हाईस्कूल 21018
वित्तपोषित हाईस्कूल 13439
मान्यताप्राप्त हाईस्कूल 115379
सरकारी जूनियर हाईस्कूल 21117
वित्तपोषित जूनियर हाईस्कूल 8296
मान्यताप्राप्त जूनियर हाईस्कूल 47755
सरकारी प्राइमरी स्कूल 60537
वित्तपोषित प्राइमरी स्कूल 16031
मान्यताप्राप्त प्राइमरी स्कूल 14885
कॉलेज-विश्वविद्यालय 20000
कुल 379395
उक्त आंक़डे डायरेक्टर ऑफ एजूकेशन (एस) की 2007-08 की रिपोर्ट पर आधारित हैं, जिसमें इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, थौबाल और विष्णुपुर आदि जिले प्रमुख रूप से शामिल हैं.