यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Monday, July 19, 2010

क्या विपक्ष मणिपुर की मुश्किलें समझेगा?


लगातार दो महीनों तक चली आर्थिक नाकेबंदी खत्म हो जाने के बावजूद मणिपुर की जनता महंगाई का दंश झेलने के लिए विवश है. मालूम हो कि नगा संगठनों ने राज्य के दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम करके जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था, लेकिन फिर भी केंद्र एवं राज्य सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगी. आर्थिक नाकेबंदी खत्म होने के बाद भी जनता की दिक्कतें कम नहीं हो सकी हैं. अब देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने कहा है कि वह मणिपुरी जनता की आवाज संसद में उठाएगी.

बीती 8 जुलाई को लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर आईं. उनके साथ एस एस अहलुवालिया, चंदन मित्रा, नेशनल सेक्रेटरी टापी गो एवं नॉर्थ ईस्ट स्टेट के जोनल ऑर्गनाइजेशन सेक्रेटरी चंद्रशेखर राव भी थे. सुषमा की इस यात्रा से मणिपुर की जनता को काफी उम्मीदें हैं. लोगों को लगता है कि केंद्र और राज्य सरकार ने तो जनता के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन विपक्ष उसके दर्द को जरूर समझेगा. भाजपा ने कई वादे किए और लोगों ने भी उससे कई सवाल किए. दरअसल मणिपुर में देश के कई बड़े नेता अक्सर आते-जाते रहते हैं, वादे करते हैं, लेकिन वापस जाकर भूल जाते हैं. पर सुषमा स्वराज ने जोर देकर कहा कि वह जो वादा कर रही हैं, उसे पूरा होते मणिपुरी जनता टेलीविजन पर जरूर देखेगी.

सुषमा स्वराज ने कहा कि संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और वह उसमें मणिपुर की आवाज को उठाएंगी. केंद्र सरकार से जनता के दु:ख-दर्द का हिसाब-किताब मांगा जाएगा. राजधानी इंफाल के जीएम हॉल में आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम में सुषमा स्वराज ने कहा कि आर्थिक नाकेबंदी से त्रस्त मणिपुर पर केंद्र सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. सारे लोग चुप रहे. उस वक्त गृहमंत्री अगर पाकिस्तान जा सकते थे तो मणिपुर क्यों नहीं आ सकते थे. नगालैंड और मणिपुर सीमा को लेकर अभी भी उलझन है. द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से इस समस्या का हल निकल सकता है. राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता एस एस अहलुवालिया ने कहा कि राज्य के लोग आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में जिस बढ़ोत्तरी का सामना कर रहे हैं, उसके लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार हैं.

नित्याइपात चुथेक स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में सुषमा स्वराज ने विभिन्न राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों के साथ मणिपुर की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श किया. सुषमा ने कहा कि मणिपुर से पार्टी का कोई सांसद नहीं है, फिर भी उन्होंने प्रतिनिधि सांसद रखकर पूर्वोत्तर के बारे में सरकार और लोगों का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की है. भाजपा की तरफ से लोकसभा में विजया चक्रवर्ती और राज्यसभा में एस एस अहलुवालिया पूर्वोत्तर के प्रतिनिधि के तौर पर मणिपुर की आवाज उठाएंगे. गौरतलब है कि आर्थिक नाकेबंदी खत्म होने के बाद भी पेट्रोल, डीजल, गैस एवं खाने-पीने की वस्तुओं के दाम अभी भी आसमान छू रहे हैं. सरकार चाहे तो सेना और हवाई जहाज के जरिए बाहर से सामान मंगवा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. निजी ट्रकों का राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवागमन अभी भी बंद है, क्योंकि रास्ते में नगा संगठनों द्वारा जानलेवा हमले की आशंका व्यक्त की जा रही है. जाहिर है, निजी ट्रक न चलने की स्थिति में खाने-पीने की वस्तुओं, पेट्रोल एवं गैस आदि की उपलब्धता कैसे संभव है? सुषमा स्वराज ने भरोसा दिलाया कि वह दिल्ली जाकर केंद्र से हाइवे प्रोटेक्शन फोर्स रखने की मांग जरूर करेंगी. साथ ही हाइवे पर अवैध वसूली के बारे में मीडिया को बताएंगी.
इस दौरान सुषमा स्वराज नगा संगठनों से भी मिलीं. नगा संगठनों ने उन्हें अपनी शिकायतों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि एडीसी एक्ट में सुधार हो, पहाड़ों पर विकास कार्य शुरू किए जाएं और घाटी की अपेक्षा पहाड़ी इलाके की आबादी ज्यादा है, लेकिन तुलनात्मक रूप से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कम है, इसलिए सीटें बढ़ाने पर भी विचार किया जाए. मालूम हो कि पहाड़ में 20 और घाटी में 40 सीटें हैं.

अब देखना यह है कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा मणिपुरी जनता की मुश्किलों को कितना समझ सकी है और वह इन मुश्किलों को कहां तक दूर कर पाती है? या फिर उसका वादा भी दूसरे नेताओं की तरह हवा-हवाई साबित होगा. सरकार तो जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, ऐसे में विपक्षी पार्टी द्वारा मणिपुर आकर लोगों की व्यथा सुनना एक महत्वपूर्ण बात है. लोगों को उम्मीद है कि भाजपा मणिपुर के लिए कुछ करेगी, लेकिन वह क्या कर पाती है और कब तक? यही देखने वाली बात होगी.

सुषमा का वादा

मानसून सत्र के दौरान संसद में मणिपुर की आवाज उठाई जाएगी, जिसके तहत हाइवे प्रोटेक्शन फोर्स रखने, जरूरी वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने, मणिपुर-नगालैंड सीमा समस्या सुलझाने और अफसपा (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) कानून में सुधार की मांग की जाएगी.

Wednesday, July 14, 2010

धूमिल की रचना

धूमिल की अंतिम कविता जिसे बिना नाम दिये ही वे संसार छोड़ कर चल बसे।

शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना कि यह
लोहे की आवाज़ है या
मिट्टी में गिरे हुए खून
का रंग।

लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
घोडे से पूछो
जिसके मुंह में लगाम है।