यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Saturday, April 11, 2009

चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा

चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा
होजाय पराधिन नहीं गंग की धारा
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा
हम भाई समझते जिसे दुनियां में उलझ के
वह घेर रहा आज हमें वैरी समझ के
चोरी भी करे और करे बात गरज के
बर्फों मे पिघलने को चला लाल सितारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा

- गोपाल सिंह नेपाली

1 comment:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

नेपाली की इस रचना के लिए आभार ...