यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Friday, May 16, 2008

मत रो माँ

इतिहास के इस नाजुक मोड़ पर
मैंने अपनी छोटी सी जिंदगी में
केवल आतंक और दहला देने वाली हिंसा देखि हैं
मैं जानती हूँ अब मेरी पीठ पर
रायफल को ही रहना हैं।
अगर वक्त मुझे अनदेखा करके चला गया
तो भला मैं लम्बी जिंदगी का क्या करूंगी।

-फेजेका मैकोनीज साभार : जनसत्ता
साउथ अफ्रीका

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