यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Wednesday, August 5, 2009

23 जुलाई : मणिपुर के एक और खूनी दिन

उस मासूम बच्चे को क्या पता था कि वह दिन (22 जुलाई 09) उसका अंतिम दिन और वह अपनी मां से हमेशा-हमेशा के लिए बिछड जाएगा. इस काले दिन ने उस मासूम को अनाथ बना दिया, जिसकी कमी उसे जिंदगी भर खलती रहेगी.

घटना स्‍थल से रवीना को उठाती हुई पुलिस
22 जुलाई की सुबह 10.30 बजे इंफाल शहर के बीटी रोड में कमांडो द्वारा फ्रिस्किंग किया जा रहा था. जाहिर है कि इंफाल राजधानी है तो सेक्युीरिटी भी जबरदस्तव होंगी. हाल ही में एसेम्बेली की बैठक में मणिपुर के सीएम ओक्रम इबोबी ने आदेश पारित करने के अनुसार इंफाल शहर में बडी संख्याि में सेक्युइरिटी तैनात की जाए. इसलिए राहगीरों से छानबीन की जा रही थी. उरिपोक की तरफ से एक संदिग्‍ध आदमी उसी तरफ आ रहा था, जिस तरफ कमांडो द्वारा चेकिंग की जा रही थी. उसे रोकने पर बंदूक निकाल कर उसने गोली चलाई और गोली चलाते हुए भागने लगा. जवाबी कार्रवाई में मणिपुर कमांडो ने भी गोली चलानी शुरू कर दी. और उसे मार गिराया. इस गोली बारी में पांच और लोग घायल हो गए. दो को गंभीर चोटें आईं. उसी वक्त अपने तीन साल के बेटे के साथ बाजार में खरीदारी करने आई एक औरत अपने बेटे के सामने जान गंवा बैठी. वह गर्भवती थी. उसका नाम थोकचोम रबीना था, उम्र 23 सा‍ल. उस मासूम जान को क्यां पता होगा कि उसका वह दिन अपनी मां के साथ अंतिम दिन है.

घायलों को अस्‍पताल में ले जाते हुए परिजन

बिलखते परिजन

अपनी मां की तस्‍वीर पर फुल अर्पित करता बच्‍चा

मृतक रवीना

असंतोष जनता किसको जिम्‍मेदारी ठहरायेगी. मुख्‍यमंत्री की इफीजि जला कर प्रदर्शन करती हुई


निर्दोष लोगों को मारने में खाली यही होता है जो प्रदर्शन सडक जाम और इफीजि जलाना उसका नतीजा कुछ नहीं होता

इस घटना के कुछ दिन बाद तहलका में इस घटना को लेकर तेरेसा रहमान की स्‍टोरी आई 12 फोटो के साथ. उस स्‍टोरी और फोटो के छपने के बाद पूरे प्रदेश की जनता जल उठी. प्रदेश सरकार के बयान झुठे निकले. सरकार की नींद उड गई. मामला शांत करने को तैयार हो गए थे मगर घटना की पोल खोलने के बाद जनता शांत नहीं हो सकी. तहलका में छपी स्‍टोरी और तस्‍वीर हैं- तहलका के वेब पेज हैं- http://www.tehelka.com/story_main42.asp?filename=Ne080809murder_in.asp








तलका में ये स्‍टोरी आने से पहले लोग शांत था और समझता था कि वाकई में एनकाउंटर हुआ था. मगर तहलका ने जब घटना की पोल खोली तब प्रदेश की जनता हत्‍यारों को सजा दिलवाने के लिए सडक पर उतरी. फोटो से साफ साफ दिखाया गया कि एनकाउंटर नहीं हुआ जानबुझ कर गोली चलाई थी.




उस घटना को एक कार्टूनिस्‍ट ने इस तरह पेश किए


इस तरह की घटना मणिपुर में आम है. हर दिन कहीं न कहीं घटती रहती है. कई मासूम और निर्दोष जानें बिना वजह की चली जाती हैं. संदिग्धक एक आदमी को मारने के लिए कई निर्दोष लोगों की जान गंवानी पडी हैं. यह सही नहीं है कि एक के लिए भीड में अंधाधुंद गोली चलाना और उसका नतीजा निर्दोष जानों को भुगतना. किसको शिकायत करोगे. जिससे शिकायत करनी थी वो तो गूंगा और बहरा की तरह आंखों में पट्टी बांध कर बैठे हैं. किसी की शिकायत सुनते नहीं है. दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही मणिपुर की हालत पर काबू पाने के लिए शासक वर्ग न कोई समझने की कोशिश करते और नही पहल. पिछले 20 सालों से मणिपुर में अशांति फैली हुई है. आतंकवादियों को कुचलने के नाम पर कई निर्दोषों की जानें चली गईं. किसी के मां, बेटे, पिता, भाई-बहन आदि मारे गए. इतनी बेरहम झेलने के बाद भी आज तक किसी भी संस्थाु या कोई भी आदमी आगे नहीं आए. चुपचाप अत्याजचार झेलता रहा. जो आवाज उठाना शुरू हुई, वह भी आत्मआहत्या के आरोप में जेल में समय काट रही है. आखिर किसकी जिम्मेदारी है.
उस घटना को लेकर मुख्यहमंत्री ओ इबोबी कहते हैं कि मारने के सिवाय कोई चारा नहीं है. यह एक अभिभावक और नेतृत्वह की राय नहीं है. शायद उनको पता नहीं है कि मारने से आतंकवादी जड से मिटा नहीं पाएंगे. उसके लिए पहल करना होगा. आतंकवादी का जड को समझना होगा और उसको दूर करने की योजना बनानी होगी. जब तक कारण को नहीं समझेंगे और निदान नहीं करेंगे तब तक आतंकवाद मिटाना मुश्किल है. उनको आठ-दस सालों से माहौल देखते आ रहे हैं. वे मुख्यामंत्री हैं. इसपर सरकार क्यां करना चाहिए, उनको समझना चाहिए. मासुमों की चीख कब तक सुनते रहेंगे. यह जनता को उपेक्षा का एक नमुना है. शोकाकुल परिवार को तो सांत्वचना देंगे और मरहम लगाएंगे. इससे घाव भरेगा. लेकिन कब तक सांत्वलना देते रहेंगे. एक दिन तो पूरे प्रदेश से एक ही आवाज निकलेगी – हमें आजादी चाहिए.

मणिपुर एसेम्बतली की बैठक में मुख्यनमंत्री ने आतंकवादी को लेकर इस तरह भाषण पेश किया-
इस राज्य‍ में असंख्यक आतंकवादियों ने पैसे के लिए किए जा रहे हत्या और हमले से आम जनता बर्दाश्तस नहीं कर पा रही है. आज इंफाल शहर में जो घटना घटी है वह एक दुखद है. इस राज्यद में जो भी आतंकवादी गुट हैं सभी मणिपुरी हैं. सरकार उनको मारना नहीं चाहती है. मगर अब जो भी घटना घट रही है वह सब बर्दाश्तै के बाहर है. उन्हों ने आगे कहा कि इस राज्यद के सात विधानसभा क्षेत्र (एसेम्बाली सेग्मेंैट 7) से अफसपा हटाना केंद्र की पसंद के विपरीत था. अफसपा हटाने के बाद इंफाल शहर में हो रही इस तरह की घटना को देख कर केंद्र सरकार का मानना है कि राज्यट सरकार आतंकवादियों को प्रोत्सा हन दे रही है. केंद्र सरकार नाराज जताती है कि राज्या सरकार आतंकवादियों को बचा रही है. इसके साथ इस राज्य. के आतंकवादियों द्वारा पैसे की मांग करना, धमकी देना और लूटपाट की घटनाओं से केंद्र सरकार भी इस मसले में गंभीर नहीं है. आतंकवादी समस्याट को खात्म् के लिए बातचीत करने को कहने पर मजाकीय लहजे में कहा कि कौन सा आतंकवादी गुट से बातचीत करनी है. केंद्र सरकार ने कहा कि राज्यन सरकार इस विषय में बहुत ढीला-ढाला डील कर रही है. कोई भी आतंकवादी गुट जब तक पैसा कमाते रहेंगे तब तक बातचीत करने को तैयार नहीं होंगे. केंद्र सरकार का विश्वा स है कि तब उन लोगों को बातचीत करने को तैयार होंगे जब यातना देंगे. अब तो देखना यह है कि आतंकवादी शासन करेंगे या सरकार.

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