Saturday, January 2, 2010
मणिपुरः विवाद के केंद्र में तिपाईमुख बांध
मणिपुर में छह हज़ार करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित तिपाईमुख पनबिजली परियोजना के निर्माण का पड़ोसी देश बांग्लादेश विरोध करता रहा है. मणिपुर के ग़ैर सरकारी संगठन भी इसके ख़िला़फ आंदोलन चलाते रहे हैं. विरोध और आलोचना को नज़रअंदाज़ करते हुए हाल ही में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई. इससे सा़फ संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार इस परियोजना को समय पर पूरा करना चाहती है, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश के बयान से ऐसा लगता है कि परियोजना को अंजाम तक पहुंचने में अधिक व़क्त लग सकता है. जलवायु परिवर्तन पर आयोजित एक कार्यशाला को नई दिल्ली में संबोधित करते हुए रमेश ने कहा कि तिपाईमुख एक मुद्दा नहीं, बल्कि एक अनूठी परियोजना है, जिसका शिलान्यास देश के तीन प्रधानमंत्री कर चुके हैं. शायद यह बांध अधर में लटक सकता है. उन्होंने बांध क्षेत्र की जैव विविधता को स्वीकार करते हुए कहा कि वह चार बार बांध क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और उन्हें लगता है कि बांध का निर्माण अधर में लटक सकता है. जब उनसे पूछा गया कि उनका मंत्रालय पर्यावरण के दृष्टिकोण से बांध बनाने के लिए हरी झंडी दिखा चुका है, ऐसी स्थिति में बांध का निर्माण कैसे रुक सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय की अनुमति मिलने का अर्थ किसी परियोजना का क्रियान्वयन नहीं होता. उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से दी जाने वाली अनुमति की प्रचलित प्रणाली से वह ख़ुश नहीं हैं और इसे अधिक कारगर बनाने की आवश्यकता है. रमेश ने कहा कि जब उन्होंने तिपाईमुख बांध के विरोध में बांग्लादेश के रुख़ के बारे में पढ़ा, तब उन्होंने फौरन अपने मंत्रालय के अधिकारियों से इस मामले पर विचार करने के लिए कहा, ताकि यह मसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा मुद्दा न बन जाए. अब उन्हें लगता है कि तिपाईमुख एक राजनीतिक फुटबाल बनकर रह गया है. केंद्रीय मंत्री ने आश्वस्त किया कि उनका मंत्रालय परियोजना के संबंध में बांग्लादेश की चिंता को ध्यान में रखेगा. इस मसले पर बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत भी की जाएगी.
(प्रस्तावित बांध निर्माण स्थल)
मणिपुर में प्रस्तावित तिपाईमुख बांध के विरोध में बांग्लादेश के कई संगठन अपनी नाराज़गी जता चुके हैं. बांग्लादेश नेशनल पार्टी की नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया भी बांध का विरोध कर रही हैं. ग़ैर सरकारी एवं पर्यावरण से जुड़े संगठनों ने जब तिपाईमुख बांध के ख़िला़फ विरोध प्रदर्शन किया तो ़खालिदा जिया भी उसमें शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि बांध के निर्माण से बांग्लादेश को ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा और क्षेत्र का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा. इसके बाद बांग्लादेश के अधिकारियों के एक दल ने बांध क्षेत्र का दौरा भी किया. इस बांध का निर्माण बांग्लादेश की सीमा से 200 किलोमीटर दूर बराक नदी पर प्रस्तावित है. बांग्लादेश के पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर मणिपुर में बराक और तुईवाई नदी के संगम स्थल पर 162 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा तो बराक नदी के प्रवाह का रुख़ बांग्लादेश की ओर हो सकता है. बराक नदी का पानी मेघना नदी तक पहुंचता है और बराक लाखों लोगों को पेयजल उपलब्ध कराती है. पर्यावरणविदों एवं ग़ैर सरकारी संगठनों का तर्क है कि तिपाईमुख पनबिजली परियोजना की वजह से खेती प्रभावित होगी, लोगों को विस्थापन का संकट झेलना पड़ेगा, स्थानीय जलाशय सूख जाएंगे और क्षेत्र की जैव विविधता नष्ट हो जाएगी. दूसरी तऱफ भारत सरकार की तऱफ से तर्क दिया जा रहा है कि पूर्वोत्तर भारत में बिजली की आपूर्ति करने के लिए बांध का निर्माण किया जा रहा है और इससे बांग्लादेश को किसी तरह का नुक़सान नहीं होगा, बल्कि उसे बाढ़ नियंत्रण में मदद मिलेगी. नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अभी तक कोई ज्वाइंट वेंचर कंपनी नहीं बनाई गई है, इसलिए तिपाईमुख बांध के निर्माण में समय लग सकता हैै. केंद्र की तऱफ से परियोजना को क्रियान्वित करने की ज़िम्मेदारी एनएचपीसी को सौंपी गई है, लेकिन इसका निर्माण संयुक्त उपक्रम के रूप में किया जाएगा, जिसमें एनएचपीसी की भागीदारी 69 ़फीसदी, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड की भागीदारी 26 ़फीसदी और मणिपुर सरकार की भागीदारी पांच ़फीसदी रहेगी. अब देखना यह है कि बांग्लादेश और मणिपुर में हो रहे विरोध के बीच भारत सरकार किस तरह तिपाईमुख बांध का निर्माण कर पाती है. तिपाईमुख की तरह अरुणाचल प्रदेश में भी लोअर भुवनशिरि पनबिजली परियोजना का काम शुरू हो रहा है, जिसका विरोध असम के ग़ैर सरकारी संगठन कर रहे हैं और बांध बन जाने के बाद असम में तबाही की आशंका प्रकट कर रहे हैं. बड़े बांधों के संबंध में सरकार को एक कारगर नीति बनाने की ज़रूरत है, ताकि विकास का अर्थ विनाश न हो. बिजली की ज़रूरत की पूर्ति करने के लिए किसी भी इलाक़े को तबाह करना औचित्यपूर्ण निर्णय नहीं कहलाएगा.
- दिनकर कुमार
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2 comments:
बहुत सम्यक जानकारी प्राप्त हुई।
शुक्रिया इस बारे मैं हमें तो पता ही नही था, पता नही किस ने आप लोगो को हम से दूर कर रखा है. 'मामू' मणिपुर घूमने का प्रोग्राम बना रहे है, अगर सब सही रहा तो उनकी तमन्ना पूरी करेंगें.
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