यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Saturday, November 26, 2011

इरोम शर्मिला


मैं उसे प्यार करती हूं
मैं उसे छूना चाहती हूं
                उसके हाथों को
                उसके होठों को
चूमना चाहती हूं उसका चेहरा
सदा मेरी आंखों में रहता है
जैसे वहीं उसका घर हो।


मैं मरूंगी नहीं,
मेरी मुस्कान अमिट है।


देख लेना,
एक दिन हमारा घर होगा
जिसमें हमारे बच्चे खेलेंगे
हरी घास पर 
निष्कंटक
मुक्त
सेना के पहरे के परे
हरी घास
पूरे उत्तर-पूर्व में फैल जाएगी।


** इरोम ने कहा है कि मुक्ति के बाद वह अपने प्रेमी से विवाह करेगी, जिसे उसने एक बार अदालत में देखा है।


-रवींद्र वर्मा
संपर्क : 09696368671

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