गैरों पे करम, अपनों पे सितम...आजकल
असम कांग्रेस के कई विधायक मन ही मन यह लाइन दोहरा रहे होंगे. उनके निशाने पर हैं
हैटट्रिक बना चुके मुख्यमंत्री तरुण गोगोई. वजह है, कांग्रेस का एआईयूडीएफ
की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना. नतीजतन, पहली बार गोगोई को अपने ही लोगों का विरोध झेलना
पड़ रहा है.
असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को अपने 12 साल के शासनकाल में पहली बार पार्टी विधायकों के विरोध का शिकार होना पड़ रहा है. गोगोई अब तक असम कांग्रेस के न केवल निर्विवाद नेता थे, बल्कि उनके विरोध में उंगली उठाने वाला कोई भी नहीं था. लेकिन हाल में उनकी पार्टी के नेताओं ने ही उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया. यह मामला तब उठा, जब कांग्रेस एवं ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के बीच नज़दीकियां बढ़ीं. पार्टी के वरिष्ठ विधायक चंदन सरकार के आवास पर सीएम हटाओ खेमे की बैठक हुई, जिसमें 26 विधायकों ने हिस्सा लिया. इनमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा, केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घाटोवार आदि प्रमुख थे. इन विरोधियों में वे लोग भी हैं, जिन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. सरकार खुद को मंत्री न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे और मुख्यमंत्री बनाम हिमंत का मामला गरमाते ही वह सक्रिय हो गए और उन्होंने अपने आवास पर बैठक बुलाने का दुस्साहस तक कर डाला.
गोगोई विरोधी मंत्रियों एवं विधायकों का कहना है कि वह उन्हें कोई महत्व नहीं दे रहे हैं. यही नहीं, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी उन्हें महत्व देने को तैयार नहीं हैं. विकास कार्यों के लिए पूंजी का आवंटन अभी तक नहीं हुआ है. राज्य की सभी योजनाएं राज्यमुखी न होकर गोगोईमुखी हो गई हैं. चाय बगानों में काम करने वाली जनजातियों की उपेक्षा सबसे अहम मुद्दा है. गोगोई जनजातियों की समस्याओं के निराकरण में दिलचस्पी नहीं लेते. जनजाति बहुल इलाकों में हाथियों एवं बाघों का उपद्रव जारी है. इस समस्या से गोगोई वाकिफ है, मगर वह हमेशा कन्नी काटते रहते हैं. बीते 11 मार्च को वित्तीय वर्ष 2013-14 का बजट पेश किए जाने के बाद से उक्त विधायक और भी नाराज हैं.
राज्य के चाय बगानों में काम करने वाले लोगों की संख्या 80 लाख से भी अधिक है, लेकिन बजट में उनके लिए केवल 24 करोड़ रुपये ही निर्धारित किए गए हैं, जबकि यह धनराशि अधिक होनी चाहिए. इस संदर्भ में विधायकों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है. वहीं अल्पसंख्यकों के लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं. वरिष्ठ विधायक रामेश्वर धनवार ने कहा कि गोगोई को यह अच्छी तरह मालूम होना चाहिए कि चाय बगानों में काम करने वाली जनजातियों के लोग जन्म से ही कांग्रेस के साथ रहे हैं. गोगोई ने उनके साथ धोखाधड़ी की है. ऐसे कई मामलों को लेकर विधायकों में असंतोष है. विधायकों ने कहा कि वे अपनी नाराजगी के बारे में शीघ्र ही हाईकमान को भी अवगत कराएंगे. दूसरी बात, आरोप है कि गोगोई नए विधायकों को नज़रअंदाज करते हैं. नए विधायक कहते हैं कि मुख्यमंत्री गोगोई उनकी अनदेखी करते हैं, इसलिए आलाकमान से शिकायत के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है.
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के समर्थन में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें 52 विधायकों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं. असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भुवनेश्वर कलाता सहित पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी गोगोई के साथ हैं. पूर्व मंत्री अंजन दत्त ने गोगोई को अपना समर्थन देकर सबको चौंका दिया. बहरहाल, गोगोई बीते 11 मार्च को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, असम प्रदेश कांग्रेस के केंद्रीय प्रभारी दिग्विजय सिंह से मुलाकात भी की. हाईकमान से मुलाकात के बाद राज्य मंत्रिमंडल में बदलाव की उम्मीद की जा रही थी, मगर ऐसा हुआ नहीं. केंद्रीय प्रभारी दिग्विजय सिंह ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा को कारण बताओ नोटिस भेजा है. वजह यह कि डॉ. शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा न्यूज लाइव की प्रबंध निदेशक हैं. कांग्रेसी नेताओं, मंत्रियों एवं विधायकों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी कि पिछले पंचायत चुनाव के दौरान इस चैनल ने राज्य सरकार और कांग्रेस के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया था. यही नहीं, निराधार और एक खास उद्देश्य से प्रेरित ख़बरें प्रसारित करके कांग्रेस को चुनाव में काफी नुकसान भी पहुंचाया गया था.
न्यूज लाइव की भूमिका
से मुख्यमंत्री तरुण गोगोई काफी क्षुब्ध हैं. इसलिए उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे
अपने एक पत्र में चैनल पर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री के इस
पत्र के बाद बीते 27 फरवरी को
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश के तहत राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह
ने मंत्री डॉ. शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
विरोधी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते
गोगोई कहते हैं कि सूबे की जनता और पार्टी
हाईकमान का आशीर्वाद उनके साथ है. लोग उनके ख़िलाफ़ बगावत करके भी कुछ नहीं बिगाड़
सकते. उन्होंने कहा कि उनकी नीयत साफ़ है और जब तक पार्टी एवं हाईकमान की मर्जी
रहेगी, वह प्रदेश की जनता की
सेवा करते रहेंगे. उन्होंने विरोधी मंत्रियों एवं विधायकों को चेतावनी देते हुए
कहा कि वह साफ़ नीयत के साथ पार्टी हाईकमान के निर्देश पर अब तक प्रदेश के विकास
एवं जनता के हितों की रक्षा के लिए सेवाभावना से काम करते आए हैं. ऐसे में, उनके ख़िलाफ़ अगर कोई मंत्री-विधायक
षड्यंत्र रचता है, तो उससे उनके
चेहरे पर किसी तरह की कोई शिकन आने वाली नहीं है.
गोगोई विरोधी नेता
डॉ. हिमंत विश्वशर्मा, मंत्री
राजू साहू, संसदीय सचिव
जीवनतारा घटोवार, संसदीय सचिव
आबू ताहेर बेपानी, संसदीय सचिव
बलिन चेतिया, संसदीय सचिव
ओकिबुद्दीन अहमद, संसदीय सचिव
प्रदान बरुआ, संसदीय सचिव
चंदन सरकार, संसदीय सचिव
सुमित्रा पातिर, संसदीय सचिव
राजेंद्र प्रसाद सिंह, संसदीय सचिव
हेमंत ताल्लुकदार, विधायक
पीयूष हजारिका, विधायक
पल्लवलोचन दास, विधायक
जयंतमल्ल बरुआ, विधायक
राजेन बरठाकुर, विधायक
हाबुल चक्रवर्ती, विधायक
जावेद इस्लाम, विधायक
शिवचरण बसुमतारी, विधायक
कमललाक्ष दे पुरकायस्थ, विधायक
संजयराज सुब्बा, विधायक
रूपज्योति कुर्मी, विधायक
सुष्मिता देव, विधायक
विनोद सैकिया, विधायक
कृपानाथ मल्लाह, विधायक
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