यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Tuesday, August 26, 2014

पूर्वोत्तर में भी पहुंची मोदी लहर

16वीं लोकसभा चुनाव का परिणाम सामने है. इस चुनाव में भाजपा को अप्रत्याशित परिणाम मिला. पूरे देश में मोदी की लहर का असर हुआ. पूर्वोत्तर में भी. यहां के सबसे ब़डे राज्य असम में पार्टी को काफी हद तक सफलता मिली वहीं पूरे पूर्वोेत्तर में पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ बेहतरीन जीत हासिल की. चुनाव अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में कई वायदे किए. अरुणाचल और त्रिपुरा की धरती पर मोदी ने चीन और बांग्लादेश को चुनौती दी. इंफाल में आईटी हब खोलने की बात की. मोदी के इन वायदों का असर पूर्वोत्तर के लोगों पर हुआ.
 
16 मई के नतीजे ने यह स्पष्ट कर दिया कि न सिर्फ उत्तर भारत, बल्कि पूर्वोत्तर में मोदी लहर देखी गई. पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. इनमें भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए गठबंधन ने 10 सीटें हासिल की. गौरतलब है कि 2009 के लोकसभा के चुनाव में भाजपा के पास असम के 14 सीटों में 4 सीटें ही थीं. इसके अलावा पूर्वोत्तर के बाकी सात राज्यों में भाजपा शून्य पर थी. इस बार यह स्थिति पूरी तरह बदली है. इस बार असम में सात, नगालैंड में 1, मेघालय में 1 और अरुणाचल प्रदेश में 1 सीट जीतने में एनडीए सफल रहा है. अगर 2009 के नतीजे से तुलना करें, तो इस बार एनडीए की सफलता पिछली बार से ढाई गुना अधिक है.

पूर्वोत्तर में मोदी लहर के पहुंचने की बड़ी वजह यह है कि पहली बार किसी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने अपनी रैलियों में विशेष ध्यान दिया. नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचार अभियान के दौरान कुल सात बार पूर्वोत्तर में रैली की और उनकी रैलियों में जनता काफी बड़ी संख्या में जुटी. यह इस बात का संकेत था कि पूर्वोत्तर के लोगों का झुकाव मोदी, उनके भाषणों और वादों के प्रति हो रहा है. अभी तक तमाम दलों के बड़े नेताओं के एजेंडे में पूर्वोत्तर महत्वपूर्ण स्थान नहीं रखता था. इसकी वजह यह है कि कांग्रेस हमेशा से यहां से जीतती आई है और वह इन क्षेत्रों सीटों के प्रति हमेशा आश्‍वस्त रहती थी. नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और वामदलों के इस मिथक को तोड़ने की पूरी कोशिश की और वे इसमें काफी हद तक सफल भी रहे. मोदी लहर की एक मिसाल यह भी है कि पूर्वोत्तर में भाजपा को अपने लिए उम्मीदवार तक के लाले पड़ जाते थे, लेकिन इस बार मणिपुर में ही वहां के नेताओं में भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ने की होड़ सी लग गई. यानी वहां के नेता से लेकर जनता तक इस बात से वाकिफ थे कि अगर मोदी किसी मुद्दे पर वादा कर रहे हैं, तो उसे पूरा भी करेंगे. उनके सामने बतौर मुख्यमंत्री गुजरात में मोदी द्वारा किए गए कार्यों का उदाहरण था. दूसरी बात यह कि मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों के सम्मान की बात करके वहां की जनता का दिल जीत लिया. एक तरफ उन्होंने अरुणाचल में जाकर चीन को ललकारा, तो दूसरी तरफ त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर कड़ा रुख अपनाने की बात कही. इनके अलावा पूर्वोत्तर के विकास का भी जिक्र मोदी ने अक्सर किया. चाहे वह इंफाल में आईटी हब बनाने की बात हो या पूरे पूर्वोत्तर के महिलाओं के रोजगार की बात. इन सभी मुद्दों ने पूर्वोत्तर में मोदी के पक्ष में एक माहौल बनाने का काम किया, जो हमें लोकसभा के नतीजों में दिखता है. अगर नतीजों की बात करें, तो यहां का परिणाम चौंकाने वाला रहा. हालांकि, पूर्वोत्तर में आजादी के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. असम में 14 सीटें हैं. इनमें भाजपा को सात सीटें मिलीं. कांग्रेस को तीन सीट मिली.इस बार भी मणिपुर में दोनों सीटों पर, इनर और आउटर, में कांग्रेस का ही कब्जा रहा. इनर में एक लाख से अधिक वोटों से कांग्रेस ने जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर सीपीआई और तीसरे नंबर पर भाजपा है. आउटर में पंद्रह हजार वोट से कांग्रेस ने नगा पीपुल्स फ्रंट को हराया. तीसरे पंबर पर भाजपा है. मिजोरम में एक सीट है. कांग्रेस ने 10 हजार वोट से निर्दलीय उम्मीदवार को हराया. तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी आई. मिजोरम में तो भाजपा की बुरी स्थिति बनी. त्रिपुरा में, त्रिपुरा ईस्ट और वेस्ट, दोनों सीटों पर सीपीआई (एम) का ही कब्जा रहा है. त्रिपुरा ईस्ट में सीपीआई (एम) 4 लाख से अधिक वोट से जीती. दूसरे नंबर पर कांग्रेस, तीसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस और चौथे पर भाजपा है. त्रिपुरा वेस्ट में भी दूसरा और तीसरा स्थान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस रहा. मेघालय में दो सीट शिलांग और तूरा है. यहां पर एक दोनों पार्टियोंे ने एक-एक सीट हासिल की है. शिलांग में कांग्रेस ने एक लाख से अधिक वोट से जीत हासिल की. दूसरे और तीसरे पर निर्दलीय और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी है. तूरा में नेशनल पीपुल्स पार्टी 40 हजार वोट से जीती और कांग्रेस दूसरे स्थान पर आई. अरुणाचल में दो सीट अरुणाचल ईस्ट और वेस्ट में कांग्रेस और भाजपा ने एक-एक पर जीत दर्ज की. अरुणाचल ईस्ट में कांग्रेस ने भाजपा को 13 हजार से हराया. तीसरे नंबर पर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल है. अरुणाचल वेस्ट में भाजपा 33 हजार वोट से जीती. दूसरे और तीसरे नंबर पर कांग्रेस और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल रहे. सिक्किम में एक सीट है. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट यहां 44 हजार वोट से जीता. दूसरे और तीसरे नंबर पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और कांग्रेस है. नगालैंड में एक सीट है. राज्य में नगा पीपुल्स फ्रंट ने कांग्रेस को 4 लाख वोटों से हराया. यहां क्षेत्रीय पार्टी हमेशा बुलंद रही है. इस बार भी नगा पीपुल्स फ्रंट आगे रहा. पार्टी का इस चुनाव में भाजपा से गठबंधन रहा.

आखिर, नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत से जीते. अबकी बार भाजपा की सरकार आ रही है. पूरे देश के लोगों ने उनको चुना. अब बारी है नरेंद्र मोदी की. जनता का विश्‍वास कितना जीत पाते हैं. साथ में पूर्वोत्तर लोगों को कितना आकर्षित कर पाते है. देश के इस हिस्से में की गई चुनावी रैलियों के दौरान किए गए वायदों को पूरा कर पाने में अगर मोदी सफल रहे तो शायद यहां की जनता उन्हें पूरी तरह स्वीकार करने से परहेज नहीं करेगी. और उनका असफल रहना कांग्रेस का अस्तित्व बचाए रख सकता है.

No comments: