यदि तोर डाक सुने केऊ ना आशे, तबे एकला चालो रे, एकला चालो, एकला चालो, एकला चालो।

Tuesday, July 29, 2008

वोट की ओट में नगालिम

नगालिम के सवाल पर मणिपुर के सांसद मणि चारेनामेइ के ताजा बयान से मणिपुर और असम में फिर से विवाद गहराने लगा है। वृहद नगालैंड ÷नगालिम' की मांग के समर्थक रहे मणिपुर के निर्दलीय सांसद मणि चारेनामइ के बयान से मणिपुर और असम में राजनीतिक गर्माहट बढ़ गई है। अपने बयान में उन्होंने इसी शर्त पर यूपीए सरकार का समर्थन की बात कही है कि सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता के साथ छेड़छाड़ न करने की शर्त पर केंद्र सरकार पुनर्विचार करेगी। नगा बागी काफी दिनों से नगालिम के तहत नगा बहुल इलाकों को एक प्रशासन तंत्र में शामिल करने की मांग करते रहे हैं। यानी उन्हें नगालिम में नगालैंड के अलावा मणिपुर के चार जिले, असम के दो पहाड़ी जिले और पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के दो जिले भी चािहए। यूपीए सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत इन राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने का वादा किया है। मणिपुर के सांसद मणि का कहना है कि केंद्र सरकार ने उस पर पुनर्विचार का वादा किया है। उनके कहने का सीधा मतलब यही है कि केंद्र सरकार ने नगा बागियों की इस मांग पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया है। यूपीए सरकार या कांग्रेस आलाकमान की तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस सांसद के इस बयान पर मणिपुर और असम में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। असम में मुख्यमंत्री ने तो सीधे तौर पर कहा कि इस तरह की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, जबकि मुख्य विपक्षी दल असम गण परिषद ने तो कांग्रेस पर यूपीए सरकार को बचाने के लिए असम का ही सौदा करने का आरोप लगाया है। मणिपुर में भी इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। वहां पर कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है।
नगालैंड में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने नगा बागियों की तर्ज पर अपने चुनावी घोषणा पत्र में नगा बहुल इलाकों को एक शासन में लाने का वादा किया था। इसका सीधा मतलब नगालिम की मांग का समर्थन करना था। खैरियत है कि कांग्रेस चुनाव हार गई, लेकिन सत्ता में दोबारा आने वाली एनपीए सरकार ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में नगालिम का वादा किया था। असम, अरुणाचल और मणिपुर की सरकारें और वहां की प्रदेश कांग्रेस समिति इसका विरोध करती रही है। रियो सरकार ने तो मणिपुर के नगा बहुल इलाके में नगालैंड विद्यालय परीक्षा पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाई आरंभ करने की वकालत भी थी। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में नगालैेंड को राज्य का दर्जा देने के दौरान हुए सोलह सूत्रीय समझौते को लागू करने का वादा कर रही है, जिसकी तेरहवीं धारा में सभी नगा बहुल क्षेत्रों को एक शासन प्रणाली में लाने की बात कही गई है। इस समझौते की धारा दो में नगालैंड को विदेश मंत्रालय के अधीन लाने का बात दर्ज है। 1963 में नगालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के पहले यह राज्य करीब छह साल तक सीधे विदेश मंत्रालय के अधीन था। उसके बाद इसे गृह मंत्रालय के अधीन कर दिया गया। उस सोलह सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में सिर्फ गोवा के मौजूदा राज्यपाल एससी जमीर जिंदा बचे हैं। यही वजह है कि नगालिम के सवाल पर कांग्रेस को नगालैंड के बाहर परेशानी होती है और वह इस सवाल को टाल जाना चाहती है।

रविशंकर रवि
लेखक उत्तर पूर्व मामलों के विशेषज्ञ हैं

No comments: