Tuesday, July 8, 2008
कविता पाठ से पहले एक लम्हे का मौन
इससे पहले कि मैं यह कविता
पढ़ना शुरू करूं
मेरी गुजारिश है कि हम सब एक
मिनट का मौन रखें
ग्यारह सितंबर को वर्ल्ड टे्ड
सेंटर और पेंटागन में मरे लोगों
की याद में
और फिर एक मिनट का मौन
उन सब के लिए जिन्हें प्रतिशोध
में
सताया गया, कैद किया गया
जो लापता हो गए जिन्हें
यातनाएं दी गईं
जिनके साथ बलात्कार हुए, एक
मिनट का मौन
अफगानिस्तान के मजलूमों और अमरीकी मजलूमों के लिए
और अगर आप इजाजत दें तो
पूरे एक दिन का मौन
हजारों फिलिस्तीनियों के लिए
जिन्हें उनके वतन पर दशकों से
काबिज
इस्राइली फौजों ने अमेरीकी
सरपरस्ती में मार डाला
छह महीने का मौन उन पंद्रह
लाख इराकियों के लिए, जिन्हें
मार डाला
ग्यारह साल लंबी घेराबंदी, भूख
और अमरीकी बमबारी ने
इससे पहले कि मैं यह कविता
शुरू करूं
दो महीने का मौन दक्षिण
अफ्रीका के अश्वेतों के लिए
जिन्हें नस्लवादी शासन ने
अपने ही मुल्क में अजनबी बना
दिया नौ महीने का मौन
हिरोशिमा और नागासाकी के
मृतकों के लिए, जगहां मौत बरसी
चमड़ी, जमीन, फौलाद और
कंक्रीट की हर परत को उधेड़ती
हुई
जहां बचे रह गए लोग इस तरह
चलते-फिरते रहे जैसे कि जिंदा हों
एक साल का मौन वियतनाम के
लाखों मुरदों के लिए
...कि वियतनाम किसी जंग का
नहीं, एक मुल्क का नाम है...
एक साल का मौन कंबोडिया
और लाओस के मृतकों के लिए
जो
एक गुप्त युद्ध का शिकार
थे... और जरा धीरे बोलिए,
हम नहीं चाहते कि उन्हें पता चले कि वे मर चुके हैं. दो महीने
का मौन
कोलंबिया के दीर्घकालीन मृतकों
के लिए जिनके नाम उनकी
लाशों की तरह
जमा होते रहे, फिर गुम हो गए
और जबान से उतर गए.
इससे पहले
कि मैं कविता
शुरू करूं
एक घंटे का मौन एल सल्वादोर
के लिए
एक दोपहर भर का मौन
निकारागुआ के लिए
दो दिन का मौन ग्वातेमालावासियों के लिए
जिन्हें अपनी जिंदगी में चैन की
एक घड़ी नसीब नहीं हुई.45
सेकेंड का मौन
आकतिआल, चियापास में मरे
45 लोगों के लिए
और पच्चीस साल का मौन उन
करोड़ों गुलाम अफ्रीकियों के लिए
जिनकी कब्रें समुंदर में हैं इतनी
गहरी कि जितनी उंची कोई
गगनचुंबी इमारत भी न होगी.
उनकी पहचान के लिए कोई
डीएनए टेस्ट नहीं होगा, दंत
चिकित्सा के रिकार्ड नहीं खोले
जाएंगे.
उन अश्वेतों के लिए जिनकी
लाशें गूलर के पेड़ों पर झूलती
थीं
दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम
एक सदी का मौन
यहीं इसी अमरीका महाद्वीप के
करोड़ों मूल बाशिंदों के लिए
जिनकी जमीनें और जिंदगियां
उनसे छीन ली गईं
पिक्चर पोस्टकार्ड से मनोरम
खित्तों में... जैसे पाइन रिज,
वूंडेड नी, सैंड क्रीक, फालन
टिंबर्स या
ट्ेल ऑफ टिअर्स अब ये नाम
हमारी चेतना के फ्रिजों पर
चिपकी चुंबकीय काव्य पंक्तियां
भर हैं.
तो आपको चाहिए खामोशी का
एक लम्हा?
जबकि हम बेआवाज हैं
हमारे मुंहों से खिंच ली गई हैं
जबानें
हमारी आंखें-सी दी गई हैं
खामोशी का एक लम्हा
जबकि सारे कवि दफनाये जा
चुके हैं
मिट्टी हो चुके हैं सारे ढोल
इससे पहले कि मैं यह कविता
शुरू करूं
आप चाहते हैं एक लम्हे का मौन
आपको गम है कि यह दुनिया
शायद पहले जैसी नहीं रह
जाएगी
इधर हम सब चाहते हैं कि यह
पहले जैसी हर्गिज न रहे.
कम-से-कम वैसे जैसी यह अब
तक चली आई है.
क्योंकि यह कविता 9/10 के
बारे में नहीं है
यह 9/10 के बारे में है
यह 9/9 के बारे में है
9/8 और 9/7 के बारे में है
यह कविता 1942 के बारे में हैं
यह कविता उन चीजों के बारे में
है जो ऐसी कविता का कारण
बनती है.
और अगर यह कविता 9/11
के बारे में है तो फिर
यह सितंबर 9, 1917 के चिले
देश के बारे में है. यह सितंबर
12, 1977 दक्षिण अफ्रीका
और स्टीवेन बीको के बारे में हैं.
यह 13 सितंबर 1971 और
एटिका जेल, न्यूयॉर्क में बंद
हमारे भाइयों के बारे में है.
यह कविता सोमालिया, सितंबर
14, 1992 के बारे में है.
यह कविता हर उस तारीख के
बारे में है जो धुल-पुंछ कर मिट
जाया करती है. यह कविता उन
110 कहानियों के बारे में है जो
कभी कहीं नहीं गईं.110
कहानियां, इतिहास की
पाठ्यपुस्तकों में जिनका कोई
जिक्र नहीं पाया जाता, जिनके
लिए सीएनएन, बीबीसी,
न्यूयॉर्क टाइम्स और न्यूजवीक
में कोई गुंजाइश नहीं निकलतीं.
यह कविता इसी कार्यक्रम में
रुकावट डालने के लिए है
आपको फिर भी अपने मृतकों
की याद में एक लम्हे का मौन
चाहिए?
हम आपको दे सकते हैं
जीवन भर का खालीपन
बिना निशान की कब्रें
हमेशा के लिए खो चुकी भाषाएं
जड़ों से उखड़े हुए दरख्त, जड़ों
से उखड़े हुए इतिहास
अनाम बच्चों के चेहरे से झांकती
मुरदा टकटकी
इस कविता को शुरू करने से
पहले हम हमेशा के लिए खामोश
हो सकते हैं
या इतना कि हम धूल से ढंक
जायें
फिर भी आप चाहेंगे कि
हमारी ओर से कुछ और मौन.
अगर आपको चाहिए एक लम्हा
मौन
तो रोक दो तेल के पंप
बंद कर दो इंजन और
टेलीविजन
डुबा दो समुद्री सैरवाले जहाज
फोड़ दो अपने स्टॉक मार्केट
बुझा दो ये तमाम रंगीन बत्तियां
डिलिट कर दो सारे इंस्टेंट मैसेज
उतार दो पटरियों से अपनी रेलें
और लाइट रेल टंजिट
अगर आपको चाहिए एक लम्हा
मौन, तो टैको बैल की खिड़की
पर ईंट मारो,
और वहां से मजदूरों का खोया हुआ वेतन वापस दो. ध्वस्त कर
दो तमाम
शराब की दुकानें, सारे के सारे
टाउन हाउस, ह्वाइट हाउस,
जेल हाउस, पेंट हाउस और
प्लेब्वाय
अगर आपको चाहिए एक लम्हा
मौन
तो रहो मौन सुपर बॉल
इतवार के दिन
फोर्थ ऑफ जुलाई के रोज
डेटन की विराट 13 घंटेवाली
सेल के दिन
या अगली दफे जब कमरे में
हमारे हसीन लोग जमा हों
और आपका गोरा अपराधबोध
आपको सताने लगे.
अगर आपको चाहिए एक लम्हा
मौन
तो अभी है वह लम्हा
इस कविता के शुरू होने से
पहले
-एमानुएल ओर्तीज
11 सितंबर 2002
1. 1942 के साल कोलंबस अमेरीकी महाद्वीप जा पहुंचा था.
2. टैको बैल : अमेरिका की एक बड़ी फास्ट फूड चेन है.
3. सुपर बॉल : अमेरिकी फुटबॉल की राष्ट्ीय चैंपियनशिप के फाइनल का दिन इस दिन अमेरिका में गैरसरकारी तौर पर राष्ट्ीय छुट्टी हो जाती है.
4. फोर्थ ऑफ जुलाई : अमेरीका का स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्ीय छुट्टी का दिन 14 जुलर्ाी, 1775 को अमेरिका में डिक्लियरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस पारित किया गया था.
5. डेटन : मिनियापोलिस नामक अमरीकी शहर का मशहूर डिपार्टमेंटल स्टोर
एमानुएल ओर्तीज मेक्सिको पुएर्तोरिको मूल के युवा कवि हैं और मिनियोपोलिस शहर में रहते हैं. इनके कई कविता संकलन प्रकाशित हैं. वह एक कवि- संगठनकर्ता हं और आदि अमेरिकी बाशिंदों, विभिन्न प्रवासी समुदायों और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए सक्रिय कई प्रगतिशील संगठनों से जुड़े हुए हैं
अनुवाद : असद जैदी
पहल से साभार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment